The 5-Second Trick For moral story

और फिर साधू के कहने पर किसान और उसकी पत्नी ने मिलकर भोजन तैयार किये जिसके बाद वे राहगीर चलते हुए लोगो को बुलाने लगे और भगवान के प्रसाद के रूप में भोजन करने का आग्रह करने लगे फिर जो भी उधर से गुजरता गरीब किसान उन्हें भरपेट भोजन कराते जिससे राहगीर काफी खुश होते और फिर उन्हें इस नेक कार्य के लिए ढेर सारा आशीर्वाद और अपनी इच्छानुसार धन भी देते जिससे वे फिर से मिले इन पैसो से लोगो को भोजन कराये,

अगले दिन जैसे ही मछुआरा आया एक मछली दोस्त छलांग लगाकर नदी में भाग गई।

पत्नी की बातो को सुनकर किसान मन ही मन खुद को और अपने भाग्य को कोसता रहता था की न जाने कब उसके किस्मत के भाग्य बदलेगे

कुछ दिन बाद परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ, जिसमे श्याम और उसके दोस्त फेल हो गए। वही उसके भाई ने प्रथम स्थान हासिल किया। श्याम अपने घर मार्कशीट लेकर गया उसके माता-पिता ने जब उसके अंक देखे वो बहुत उदास हुए कि हमारा एक बेटा पढ़ने में इतना अच्छा है और दूसरा इतना नालायक।

दिन बीत रहे थे। किसान का हौसला टूट रहा था कि एक दिन महेश के घर एक आदमी आया। वह देखने में बहुत बीमार लग रहा था। महेश ने सोचा कि अब वह क्या करे। महेश के दिमाग में आया कि घर में जो कुछ खाने के लिए बचा है वह उसकी सेवा में लगा दे। 

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वह एक-एक कंकर अपनी चोंच से उठाकर पानी में डालने लगा। धीरे-धीरे पानी ऊपर आ गया और कौए ने जी भर कर पानी पिया और वहाँ से उड़ गया।

गौरैयों की दयालुता से अभिभूत होकर रामू सूखे के दौरान खुद को और अपने पड़ोसियों को खिलाने में सक्षम था। जब सूखा खत्म हुआ और रामू का खेत फिर से फलने फूलने लगा तो उसने गौरैयों को उनकी मदद के लिए धन्यवाद दिया। 

पिताजी भी गए हुए हैं, अब मैं तुम्हें स्कूल पहुंचा कर गांव निकलूंगी।

यह सभी हिंदी कहानियां बहुत ध्यान पूर्वक लिखी गई हैं जिसमें आपको वह सभी महत्वपूर्ण बातें पढ़ने को मिलेंगे जिससे हम एक अच्छे समाज की स्थापना कर सकते हैं।

एक बार कि बात है, एक गांव में एक रामचरण नाम का किसान रहता था। वह एक मेहनती और परिश्रमी किसान था। वह गांव के अपने खेतों में दिन रात मेहनत करता और अपने परिवार को पालता और उनकी आवश्यकता को पूरा करता था। 

जब गांव के लोगों ने श्यामू की सफलता देखी तो वे आश्चर्यचकित रह गए। वे बोले, श्यामू, हमें माफ कर दो, हम तुम्हारी मेहनत की कद्र नहीं कर पाए। तुम्हारी मेहनत और ईमानदारी ने तुम्हें सफलता दिलाई है। 

एक दिन की बात है दादा जी को क्रोकरी के बर्तन में खाने को मिला।

वह जिस गांव में रहता था वहां पर ज्यादातर लोग किसान थे। इन सभी किसानों के पास जितनी जमीन थी उससे कई गुना ज्यादा जमीन इस सेठ के पास थी। कई गरीब किसान तो इसके लिए इसके खेतों में काम करते थे।

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